आज का हमारा विषय है टॉन्सिल्स के बारे में | दोस्तों दुनिया में कई लोगों को टॉन्सिल्स की बीमारी लगी हुई होती और ज्यादातर तो टॉन्सिल की परेशानी औरतों में दिखाई देती है, क्योंकि उन्हें अधिक मात्रा में थायराइड की प्रॉब्लम का सामना करना पड़ता है | थायराइड के कारण उनके टॉन्सिल्स में सूजन आती है और उनके गले में इन्फेक्शन होने लगता है जिससे उन्हें खाने-पीने में बहुत दिक्कत आती है |
तो इस सिलसिले में आज हम आपको जानकारी देने वाले हैं कि कैसे आप आपके टॉन्सिल को आसानी से सेहतमंद रख सकते हैं और अगर किसी कारण उनमें कोई परेशानी आई है | तो उसे कैसे घरेलू उपाय से आप दूर कर सकते हैं या फिर अन्य साधारण टेबलेट के बारे में भी हम आपको जानकारी देने वाले हैं जिससे आप आसानी से आप के टॉन्सिल की बीमारी को दूर भगा सकते हैं | तो चलिए सबसे पहले हम यह जान लेंगे की टॉन्सिल में खराबी आने से क्या होता है |
टॉन्सिल्स में खराबी आने से क्या होता है ?
दोस्तों टॉन्सिल के साथ हमारे शरीर के लिंफ नोड्स जुड़े हुए रहते हैं जो हमारे शरीर कि रोग प्रतिकार शक्ति को बढ़ाने के लिए कार्य करते रहते हैं और जब वह बैक्टीरिया या किसी फंगल इंफेक्शन को मारने में असफल होते हैं उस वक्त टॉन्सिल में खराबी आने लगती है | ऐसे वक्त टॉन्सिल्स में सूजन आती है, जैसे कि आपके मुंह के अंदर गले में खराश होने लगती है, अंदर से गले की स्किन यह लाल हो जाती है, या फिर उस पर लाल या सफेद दाने निकल जाते हैं, जिससे आपको किसी भी चीज को खाने में निकलने में परेशानी आती है यहां तक आप आसानी से बोल भी नहीं पाते हो | और आपका गला दर्द करने लगता है, और कई बार आपके गले में जलन महसूस होती है |
टॉन्सिल्स में सूजन आने से हमारे के नीचे का हिस्सा पर सूजन आ जाती है, और वह दर्द करने लगता है |और इसके बाद आप को बुखार, सर दर्द, खासी, जुकाम, कफ इत्यादि परेशानियों का सामना करना पड़ता है |
टॉन्सिल्स क्यों बढ़ते हैं ?
दोस्तों टॉन्सिल्स यह बैक्टीरिया और वायरस का सामना करते हैं, जो आपके मुंह और नाक के माध्यम से आपके शरीर में प्रवेश करते हैं। कई बार ऐसा होता है जब टॉन्सिल्स इन बैक्टीरिया को मारने में नाकाम होता है, उस वक्त टॉन्सिल्स में इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है |
टॉन्सिल्स का बढ़ना एक वायरस के कारण हो सकता है, जैसे कि सामान्य सर्दी, या एक जीवाणु संक्रमण के कारण और बाकी की कई सारे अन्य कारण भी है जैसे कि, एपस्टीन-बार वायरस ह्यूमन हर्पिस वायरस 4 mononucleosis, जो किसिंग करने से फैलाया जाता है | यह हमारे मुंह की लार के वजह फैलता है |
साइटोमेगालो वाइरस सीएमवी एक हारफेस वायरस है जो आमतौर पर शरीर में हमेशा रहता है, लेकिन जब शरीर की रोग प्रतिकार शक्ति कम होती है उस वक्त यह त्वचा को इनफेक्टेड करता है, तो ऐसे में यह वायरस ट्रांसिल्स को भी बढ़ा सकता है ।
रुबेला वायरस यह अत्यधिक खतरनाक वायरस है, जो संक्रमित लार और बलगम के माध्यम से श्वसन प्रणाली को इनफेक्टेड करता है।
हरपीज सिंप्लेक्स वायरस यह एक दूसरे प्रकार का वायरस है | यह वायरस ओरल हर्पीज भी कहा जाता है, यह टॉन्सिल पर दरार, सफेद दाग , लाल दाग बनाता है |
एडिनो वायरस यह वायरस सामान्य सर्दी, गले में खराश और ब्रोंकाइटिस का कारण बनते हैं।
टॉन्सिल्स में खराबी होने से कैसे बचें ?
टॉन्सिल्स में खराबी होने से बचने के लिए आपको आपके टॉन्सिल्स की बहुत देखभाल करनी होती है | जैसे कि सबसे पहले तो आपने तरह तरह के बैक्टीरिया वायरस से दूर रहना होगा | उसके लिए आपने हमेशा आपके मुंह पर और नाक पर मास्क लगाए बाहर घूमना है | जिससे आपके शरीर में किसी भी प्रकार का वायरस नहीं जा पाता है |
आपको कई सारे खाने पीने की चीजों पर भी ध्यान रखना पड़ता है | जैसे कि ज्यादा तेज तीखी और मसालेदार चीजें खाना बंद कर दे | ज्यादा मीठे और खट्टे पदार्थ भी खाना बंद कर दे | इन पदार्थों से ट्रांसिल्स का इंफेक्शन ज्यादा बढ़ता है | और तो और ज्यादा गर्म और ज्यादा ठंडे पदार्थ भी खाना बंद कर दे |
अगर टॉन्सिल्स में किसी प्रकार दर्द होता है या सूजन आती है तो जल्द से जल्द डॉक्टर से इलाज करवा ले जिससे वह ज्यादा बढ़ ना पाए |
टॉन्सिल्स को कंट्रोल में रखने के लिए कई सारे प्रकार के योगा और व्यायाम आप कर सकते हैं |
टॉन्सिल्स में सूजन होने पर क्या खाएं और क्या नहीं ?
क्या खाए :- टॉन्सिल्स में सूजन होने पर आपने वही चीजें खाने हैं जिसमें आप को निगलने में परेशानी ना हो | जैसे कि दाल चावल , दूध और चावल, साधारण सब्जी और रोटी जिसमें किसी भी प्रकार का तीखापन और मसाले ना हो | पानी पीते वक्त बिल्कुल सादा पानी पिए | दूध में हल्दी मिलाकर आप पी सकते हैं जिससे टॉन्सिल का इन्फेक्शन दूर होता है |
क्या नहीं खाएं :- टॉन्सिल्स में सूजन होने पर ज्यादा मसालेदार चीजें ना खाएं और ना ही तीखा खाए | खट्टी और मीठी पदार्थ खाना बंद कर दे | जैसे कि ज्यादा शक्कर और दही, और किसी भी प्रकार की आइसक्रीम | और ना ही गर्म चीजें खाएं |
टॉन्सिल में सफेद दाना आने पर क्या करें ?
- टॉन्सिल में सफेद दाना आने पर गले को आराम दे | जिससे उस पर ज्यादा तनाव ना आए |
- पीने के लिए लिक्विड पदार्थ, जैसे पानी या पतला फूलों का रस पीए | ज्यादा ठंडा और ज्यादा गर्म ना हो इसका ख्याल रखें | शहद या के साथ गर्म चाय पीए , जैसे कि ग्रीन टी |
- रोजाना तीन से चार बार नमक के पानी का कुल्ला करें |
- चाय में अदरक डालकर भी पिए |
- ठंडे बर्फ से गले को सेके |
- या फिर आप डॉक्टर की सलाह अनुसार एंटीबैक्टीरियल स्प्रे का इस्तेमाल कर सकते हैं |
- बुखार और दर्द को कम करने के लिए दवाइयों का सेवन कर सकते हैं |
अगर घरेलू उपाय से भी आपके ट्रांसिल्स पर इलाज नहीं होता है तो आपने डॉक्टर को दिखाना जरूरी है |
टॉन्सिल के ऑपरेशन में क्या करते हैं ?
दोस्तों बड़े ही आसान भाषा में हम आपको बताते हैं कि टॉन्सिल्स के ऑपरेशन में क्या करते हैं | जिस वक्त आपके टॉन्सिल्स के इंफेक्शन को सुधारना मुमकिन नहीं होता है | या सुधरने की बात भी बार-बार टॉन्सिल्स का इंफेक्शन हो रहा हो | या वह बहुत दर्द कर रहे हैं जो डॉक्टर उन्हें निकालने की सलाह देते हैं |
जैसे कि आपके मुंह के अंदर गले में जो साइड में दो छोटे-छोटे गुब्बारे के आकार के अंग होते हैं, वह टॉन्सिल्स के होते हैं | डॉक्टर ऐसे में लेजर प्रक्रिया के जरिए उन दोनों टुकड़ों को जलाकर निकाल देते हैं | जिससे आपके गले की दोनों सतेह चिकनी हो जाती है और आपके गले में और भी ज्यादा जगह बन जाती है जिसे आप आसानी से खाना निकल सकते हैं | और आपको कभी भी आगे चल के टॉन्सिल्स के इंफेक्शन का खतरा नहीं होता है |
टॉन्सिल का होम्योपैथिक इलाज :
दोस्तों टॉन्सिल्स का तो साधारण रूप से भी इलाज कर सकते हैं जिसे हम टॉन्सिल्स के घरेलू उपचार कहते हैं, अक्सर लोग टॉन्सिल्स के लिए टेबलेट खाते और कई बार ऑपरेशन करके भी निकालने की सलाह डॉक्टर देते हैं | लेकिन इस पर हम आपको कुछ होम्योपैथी की दवाई बताने वाले हैं जिसका इस्तेमाल करके आप ऑपरेशन से बच सकते हैं | तो चलिए जानकारी प्राप्त कर लेते हैं कि कौन सी दवाइयां आपके टॉन्सिल पर आसानी से असर करेंगी |
Baryta Carb :
बेरीटा कार्ब यह दवाई आमतौर पर सर दर्द, कान का दर्द, नाक से खून , मुंह में दर्द, मुंह का इन्फेक्शन, इंफेक्शन और हमेशा टॉन्सिल सूजन इन जैसीऔर अन्य कई सारी बीमारियों पर आसानी से इलाज करती है | यह एक होम्योपैथी दवाई है जिसका सेवन करने की कई सारे डॉक्टर सलाह देते हैं |
सोरिनम होम्योपैथिक दवा :
सूरीनाम होम्योपैथिक दवा यह आमतौर पर कैंसर पर इस्तेमाल की जाने वाली होम्योपैथिक दवा है | सोरिनम थेरेपी के सहायक उपचारों को एलोपैथी और होम्योपैथी दोनों क्षेत्रों से अपनाया जाता है। हालाँकि हम में से अधिकांश लोग इसके नाम से होम्योपैथिक दवा सोरायण के बारे में नहीं जानते हैं, लेकिन हम सभी स्केबीज नामक स्वास्थ्य स्थिति (अत्यधिक खुजली, कोमलता और तरल पदार्थ से भरे अल्सर के गठन से पहचाने जाने वाला संक्रामक स्किन के इंफेक्शन से अवगत हैं। होम्योपैथिक उपचार सोरायसिस खुजली के लिए सबसे प्रभावी शाली दवाई है | और इसका उपयोग यह हैनीमैन द्वारा स्थापित की गई थी।
मेडोराइनम होम्योपैथिक दवा :
Medorrhinum होम्योपैथी में दवाई है, जिसे अधिक उपयोग किया जाता है, इस दवाई के वजह से गले के टॉन्सिल के इंफेक्शन को सुधारने में आने वाली रुकावटों को दूर किया जा सकता है | और उपचार की गति को बढ़ाया जाता है |
Nice
Thanks for the information